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પરિવાર…….!

પરિવાર…….!
 
જ્યાં બંધારણ ના હોય પણ વ્યવસ્થા હોય……!
જ્યાં સુચના ના હોય પણ સમજણ હોય……..!
જ્યાં કાયદો ના હોય પણ અનુશાસન હોય……!
જ્યાં ભય ના હોય પણ ભરોસો હોય……..!
જ્યાં શોષણ ના હોય પણ પોષણ હોય……!
જ્યાં આગ્રહ ના હોય પણ આદર હોય……!
જ્યાં સંપર્ક નહિં પણ સંબંધ હોય…….!
જ્યાં અર્પણ નહિં પણ સમપર્ણ હોય…….!
 
એજ સાચો પરિવાર……..!

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“अवतार”

“हिरणाक्ष_वाराह, हिरण्यकशिपु_नृसिंह, वामन_बलि, राम_रावण, कृष्ण_कंस,” -ॐ वाराह नृसिंह धर्म के अवतार, वामन अर्थ कै, राम काम कै, कृष्ण भक्ति कै अवतार हैं ॐ क्रमशः

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सत्संग,

स्वाध्याय में प्रमाद ना करो । नित्य स्वाध्याय करो । अच्छी पुस्तकों का पठन करो । यही सच्चे मित्र हैं ।

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सत्संग,

भगवान की शरण में जानेका अर्थ है भगवान की आज्ञा में रहना, उन्हीं के आदेशों के अनुसार जीना । भक्ति मार्ग के अनुरूप यही सरल उपाय है । भक्ति में आसक्ति तो है, लेकिन प्रभु में । भगवान में हुई आसक्ति का नाम है तीव्र भक्ति । इसी तीव्र भक्ति के चलते संसार की आसक्ति छूट जाती है जो दुःख का कारण है ।

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