विचार मंथन…..!!

जिव तिन प्रकार के होते हे ।
(1) सन्मुख
(2) विमुख
(3) बर्हिमुख

जो वैष्णव पुष्टि प्रकार से भगवान श्री कृष्ण की सेवा एवं गुरुवर्य श्री वल्लभकुल की सेवा करते है वह सन्मुख जिव हे ।। जो कृष्णसेवा,गुरुसेवा नहीं करते वह विमुख जिव है ।। एवं भगवान ने जिन्हें त्याग दिया हे अंगीकार नहीं किया वे बहिर्मुख जिव कहे जाते हे ।। जो इस संसार में अभागी जीव् है।।
प्रियजन हम पुष्टि जिव बड़े बडभागी है जिनको श्री वल्लभ ने अपनी शरण में लेके कृष्णसेवा का अधिकार दिया । हम जेसे ” बर्हीमुख ” जीवो को अपने अनुग्रह से ” सन्मुख ” किया  फिर हम      एसे महोदार महाकारुणीक प्रभु एवं महाप्रभु से ” विमुख ” क्यों होवे !!

” अपने जीवन में संसार से विमुखता एवं श्रीवल्लभ से ” सन्मुखता ” बनाय  रखो..!!

– गो.हरिराय(कड़ी-अहमदाबाद-सूरत)

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3 thoughts on “विचार मंथन…..!!

  1. Vipul Mehta

    Dandwat pranam j j
    Ati sunder varnan
    Yuhi aap ashirwad banaye rakhana taki ye jiv sada shree thakorji k sanmukh bana rahe… aur vallabh ke charno ki seva mile .

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  2. VIRANG

    Je je Koti Koti Dandvat pranam..

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