आरती क्यों वाकी भावना..!!

” अमंगलम निवृत्यर्थ मंगलावाप्तये तथा,
कृत्मारार्तिकं तेन प्रसिध्द: पुरुषोत्तम: !!

चार प्रहर की चार आरती होवे हे।

* रात्रि के दोष परिहार,निशाचरन की द्रष्टि निवारणार्थ “मंगला आरती”

* वन वन प्रभु धूमे ठोर कुठोर चरण पड़े तासो संध्या घर पधार्वे पर माता जसोदा ” संध्या आरती” करे हे।

* राजभोग में निकुंज व्रजललना दोनों स्वरूप न की आरती करे हे

* शयन में भी व्रजललना प्रभु कु शैया मंदिर में बिठाय के आरती उतारे हे।

आरती बार बार उतारे क्यों की प्रभु बालक हे उनकू नजर लग जाय या  वात्सल्य भाव सु ” दोष परिहार ” आरती होवे हे..!!

* आरती – आ + रति
अकार कृष्ण वाचक हे। रति यानि स्नेह,प्रेम,
– कृष्ण में रति प्रेम ही आरती हे..!!

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3 thoughts on “आरती क्यों वाकी भावना..!!

  1. Vipul Mehta

    J j dandwat pranam ….ati sunder
    Gyanvardhak ……

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  2. Divya Dhingra

    Dandvatt pranam jaijaiji…

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  3. DANDVAT PRANAM J J SHREE

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