श्री वल्लभ के उत्सव की बधाई…!!(कामदा ऐकादशी)

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आज से श्री वल्लभ के उत्सव की बधाई बेठी…॥

श्री वल्लभ मधुराकृति मेरे। सदा बसो मन यह जीवन धन सबहिन सों जु कहत हों टेरे॥१॥ मधुर बचन अरु नयन मधुर जुग मधुर भ्रोंह अलकन की पांत। मधुर माल अरु तिलक मधुर अति मधुर नासिका कहीय न जात॥२॥ अधर मधुर रस रूप मधुर छबि मधुर मधुर दोऊ ललित कपोल। श्रवन मधुर कुंडल की झलकन मधुर मकर दोऊ करत कलोल॥३॥ मधुर कटक्ष कृपा रस पूरन मधुर मनोहर बचन विलास। मधुर उगार देत दासन कों मधुर बिराजत मुख मृदु हास॥४॥ मधुर कंठ आभूषन भूषित मधुर उरस्थल रूप समाज। अति विलास जानु अवलंबित मधुर बाहु परिरंभन काज॥५॥ मधुर उदर कटि मधुर जानु जुग मधुर चरन गति सब सुख रास। मधुर चरन की रेनु निरंतर जनम जनम मांगत ‘हरिदास’ ॥६!!

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