पुष्टिमार्ग मे गणेशचतुर्थी:-
पुष्टिमार्ग मे “श्रीजमुनाजी” प्रथम पूज्या है…!!
जैसे मर्यादामे गणपति रिद्धि-सिद्धि, बुद्धि के दाता है और सबसे पहेले पूजनीय है वैसे पुष्टिमे श्रीजमुनाजी भाग्य-शौभाग्य और सकल सिद्धि के दाता है और श्रीमहाप्रभुजी ने सबसू पहेले उनको वंदन कियो है…!!
नमामि यमुनामहं सकल सिद्धिहेतुम मुदा
अब गणेशचतुर्थी का भाव सोचे तो यही आवे है की ” गण ” माने यूथ ” ऐश ” माने अधिपति और चतुर्थ मतलब जो चतुर्थ यूथ के अधिपति है (श्री जमुनाजी) उनको उत्सव और दूसरो भाव ये के जो चारोयूथ के अधिपति हे (श्री ठाकुरजी) उनको उत्सव…!!
वैष्णव को बुद्धि की प्रेरणा देने वाले श्रीप्रभु के चरनार्विंद हे
बुद्धि प्रेरकम श्रीकृष्णस्य पादपद्मं
ताते गणेशचतुर्थी मे श्रीयमुनाजी श्रीठाकोरजी श्री महाप्रभुजी का ही आराधन करे..!!
श्रीयमुनाष्टक के पाठ करे और “अन्याश्रय ” से बचे और प्रभुके कृपापात्र बने…!!
आपका गो.हरिराय..!!
(कड़ी-अहमदाबाद-सूरत-मुंबई)
Ati Sunder Bhaav…Dandwat Pranam Je Je.
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