गवां ही तीर्थे वसतिच गंगा पुष्टिस्तथा तद्रजसि प्रवृघ्दा ।।
लक्षमी करिषे प्रणतौ च धर्मस्तासां प्रणामं सततं च कूर्यात ।।
समस्त वेदों,पुराणों,महाभारत,रामायण जेसे धर्मग्रंथो में गौमाता की महिमा का अगाध वर्णन किया है ।
हमारे धर्मशास्त्रों में गौमाता को सुरभि,कामधेनु,अवध्या,अर्च्या,रुद्रो की माता,वसुओ की पुत्री,अदितिपुत्रो की बहन,सर्वदेवमयी जेसे सुन्दर शब्दालंकार से विभूषित करते है ।
गौ वन्दना “गावो विश्वस्य मातर”
अर्थात गाय विश्व की माता है,
गौ माता हमारी वैदिक संस्कृति, धर्म,संस्कार एवं सभ्यता का प्रतिक है ।
समुन्द्रमंथन के समय मेसे पांच गाय प्रगट हुई..!!
1 नंदा – जनदग्नि महर्षि को प्रदान
2 सुभद्रा-भरद्वाज महर्षि को प्रदान
3 सुरभि-वशिष्ठ महर्षि को प्रदान
4 सुशीला-असित महर्षि को प्रदान
5 बहुला-गौतम महर्षि को प्रदान
* गाय एवं ब्राह्मण के सहयोग से यज्ञ कार्य परिपूर्ण होते है ।।
* गौपुजन समस्त देवो का पूजन है गौ अनादर समस्त देवो का अनादर है ।
* सकलहितकारिणी समग्र विश्व की पालनपोषण कर्ता गौमाता हमारे कृष्ण को भी अत्यंत प्रिय है।।
* गौसेवा के फल स्वरुप देवमाता अदिति के गर्भ में भगवान वामनजी का प्रागट्य हुआ..!!
पुष्टिमार्ग में भी भगवदसेवा के अंग रूप गौसेवा का विधान है ।नूतन वर्ष के आरंभ में गोवर्धनपूजा से पहेले ” कान जगाई “” होती है । हमारे श्री वल्लभ भी गौब्राम्हण प्रतिपाल है, वार्ता जी में बहुलावन का प्रसंग सुप्रसिद्ध है ।।
* व्रज में गौ रक्षा के हेतु ही श्री विट्ठलनाथजी को ” श्री गुंसाईं ” की पदवी से विभूषित किया था ।।
गौसेवा एवं गौरक्षा वैदिक धर्म में आस्था रखनेवाले प्रत्येक जिव का कर्तव्य धर्म है ।।
* पु.दादाजी(श्री विजयकुमारजी महाराजश्री) भी आज्ञा करते है की हमें नित्य गौ ग्रास अवश्य देंना चाहिए।।
* जो हमारी सभी मनोकामनाए पूर्ण करती है इसी ” कामधेनु ” गौ माता को शत शत वंदन
* गौ माता की जय *
लेखन संकलन – गो.हरिराय (कड़ी-अहमदाबाद-सूरत-मुम्बई)
यह लेख को शान्ति पूर्ण पढ़कर अपने इष्ट मित्रो को फारवर्ड करे…!!
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