कल्पना कीजिये एक बैंक अकाउंट की जिसमे रोज सुबह आपके लिए कोई 86,400 रुपये जमा कर देता है । लेकिन शर्त ये है की इस अकाउंट का बैलेंस कैर्री फॉरवर्ड नहीं होगा, यानि दिन के अंत में बचे पैसे आपके लिए अगले दिन उपलब्ध नहीं रहेंगे ।
और हर शाम इस अकाउंट में बचे हुए पैसे आपसे वापस ले लिए जाते हैं।
ऐसे सिचुएशन में आप क्या करेंगे ? जाहिर है आप एक-एक पैसा निकल लेंगे। है ना ?
हम सब के पास एक ऐसा ही बैंक है, इस बैंक का नाम है ” समय”.
हर सुबह समय हमको 86,400 सेकण्ड्स देता है।
और हर रात्रि ये उन सरे बचे हुए सेकण्ड्स जिनको आपने किसी बहतरीन मकसद के लिए इस्तेमाल नहीं किया है, हमसे छीन लेती है। ये कुछ भी बकाया समय आगे नहीं ले जाती है।
हर सुबह आपके लिए एक नया अकाउंट खुलता है, और अगर आप हर दिन के जमा किये गए सेकण्ड्स को ठीक से इस्तेमाल करने में असफल होते हैं तो ये हमेशा के लिए आपसे छीन लिया जाता है।
अब निर्णय आपको करना है की दिए गए 86,400 सेकण्ड्स का आप उपयोग करना चाहते हैं या फिर इन्हें गवाना चाहते हैं, क्यूंकि एक बार खोने पर ये समय आपको कभी वापस नहीं मिलेंगे।-गो.हरिराय(कड़ी)
विचार मंथन…!!
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2 Comments
Dandwat pranam j j …..
Kya khub kaha hai ….ati sunder ….
Time is money .
Samay ka sadupyog karna chahiye kyuki bita hua samay wapis nahi ata .
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आशिर्वाद विपुलजी
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