चातुर्मास प्रारंभ…!!

Vaman avtarतन ही राख सत्संग मैं, मन ही प्रेम रस भेव |
सुख चाहत हरिवंश हित, कृष्ण कल्पतरु सेव ||

 देव शयनी एकादशी  के आशीर्वाद…!!

आज चातुर्मास का आरम्भ हुआ.. चातुर्मास ४ महीने कि अवधि है जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनाया जाता है.
आज से भक्तवत्सल प्रभु अपना वचन निभाने बलिराजा के वहां पाताललोक में पधारे हे.. हमारे शास्त्रों के अनुसार इस मास में भगवन योग निंद्रा में विश्राम करते हे इसलिए  यह मास में वैदिक कार्य विवाह,यज्ञोपवित,गृह प्रवेश आदि नहीं होते इसलिए यह मास भगवद कार्य का हे..सेवा सत्संग कथा यात्रा स्मरण इन चातुर्मास में विशेष फलदाई हे…!! यह मास भक्तिमास हे ..!!

पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है:
एक बार असुरराज विरोचन के पुत्र बाली ने अश्वमेघ यज्ञ करके बहुत पुण्य अर्जित कर लिया और सभी दैत्य देवताओं से उच्च श्रेणी में पहुच गए  और इन्द्र से उनका सिंघासन छीन लिया गया. इन्द्र सभी देवताओं सही भगवन नारायण की शरण में गए और भक्तवत्सल भगवान ने उन्हें वचन दिया कि कि वो उनकी सहायता करेंगे. प्रभु ने एक छोटे से बालक का वामन अवतार धारण किया और साथ में शिवजी ने भी बाल रूप धरा और बटुक भैरव के नाम से विख्यात हुए. वामन भगवान राजा बलि के द्वार पर पहुंचे और उनसे तीन पग भूमि का दान माँगा. यह कथा हम सबने पूज्य गुरुदेव के श्री मुख से सुनी है. तो भगवान ने अपना तीसरा चरण राजा बलि के सिर पे रखा तो उसे नर्क में प्रभु ने धकेल दिया और पाताल लोक का राज्य भी दे दिया. बलि की सच्चाई से प्रसन्न होकर वामन भगवान ने उसे एक वर मांगने को कहा तो राजा बलि ने ठाकुर जी से यह विनती की कि वो माँ लक्ष्मी सहित उनके साथ साल के तीसरे हिस्से के लिए रहें अर्थार्थ प्रभु को अपनी वामंगिनी सहित एक तिहाई साल के लिए (४ महीने) राजा बलि के साथ रहना था. प्रभु ने उसकी मनोकामना पूर्ण की और इसी चातुर्मास में प्रभु राजा बलि के साथ पाताल लोक में निवास करते हैं. इसलिए चातुर्मास के प्रारंभ को देवशयनी एकादशी कहा जाता है और अंत को देवोत्थान एकादशी.

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4 thoughts on “चातुर्मास प्रारंभ…!!

  1. paresh

    He shri vallbhprbhu yah samay to aap bhktki ki thodi shi dinta se hi prsan ho jat ho or aapne bhktvstl hoke srvesvrprbhu ka sanidhy nity krvaya hai…je je aapni kripa hamare liye adhika dhik hai…mara sastang dandvat pranam.

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  2. Dandvat pranam kripanath….
    khub sunder vachnamrut jeje,apsri ne kripa kari chaturmaas ka bhav prakash kiya…O:)

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  3. आशीर्वाद…!!

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