आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्रजी के जन्म की बधाई बधाई ।श्री राम के जीवन से सीख। रघुकुल रीत सदा चली आयी प्रान जाय पर बचन न जाये प्रातकाल उठीके रघुनाथा मात पिता गुरु नाव ही माथा॥ पुजनी यो का आदर,आज्ञा पालन, आदि..॥पुष्टिभक्ति के 4 कार्य कर बताये। 1अहल्या 2 सेतुबंध 3 शबरी 4 अवधपुरीजन को पुष्पक विमान मेँ साकेतधाम गमनादि । श्रीराम जय राम जय जय राम ।
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